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पंजाब विश्वविद्यालय पर बीजेपी की केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को लेकर वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा द्वारा तीखा हमला

पंजाब विश्वविद्यालय पर बीजेपी की केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को लेकर वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा द्वारा तीखा हमला

नोटिफिकेशन को शिक्षा के केंद्रीकरण के लिए ‘तानाशाही’ कदम करार दिया

चंडीगढ़, 1 नवंबर पंजाब के वित्त मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने राज्य की सबसे पुरानी विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय, के संबंध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा 28 अक्तूबर को जारी किए गए नोटिफिकेशन की कड़ी आलोचना करते हुए इसे भाजपा का “तानाशाही” कदम बताया।

यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने जोर देकर कहा कि यह नोटिफिकेशन शिक्षा के केंद्रीकरण और प्रांतीय भाषाओं को समाप्त करने के लिए भाजपा की सबसे बड़ी साजिश है। उन्होंने कहा कि इस नोटिफिकेशन का उद्देश्य 59 साल पहले पंजाब विश्वविद्यालय में स्थापित और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी जाने वाली ‘सीनेट’ को समाप्त करना है।

केंद्र सरकार द्वारा सीनेट के चुने हुए ढांचे, जिस में सदस्य पहले अकादमिक स्टाफ में से लिये जाते थे, में किए गए बड़े बदलाव को उजागर करते हुए हरपाल सिंह चीमा ने विस्तार से बताया कि सीनेट की शक्ति 90 सदस्यों से घटाकर केवल 31 सदस्य कर दी गई है। उन्होंने कहा कि इस कटौटी का मतलब है कि अब सिर्फ 18 सदस्य चुने जाएंगे, जबकि भाजपा-शासित केंद्र सरकार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 13 सदस्यों को नामित करेगी।

उन्होंने बताया कि यह पहली बार होगा जब चंडीगढ़ से सांसद और शिक्षा सचिव चंडीगढ़ सीनेट के सदस्य होंगे। इसके अलावा, पंजाब विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर, जो अक्सर केंद्र सरकार के पसंदीदा होते हैं, को अब अपने पसंदीदा प्रोफेसरों को नामित करने की शक्ति होगी। नई 31-सदस्यीय सीनेट की संरचना में 18 चुने हुए सदस्य, 6 नामित सदस्य और 7 पदेन सदस्य होंगे, जिनमें चंडीगढ़ के सांसद, यूटी प्रशासक के सलाहकार और शिक्षा सचिव शामिल होंगे।

उन्होंने बताया कि यह भी पहली बार होगा कि चंडीगढ़ से सांसद और चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के सचिव सीनेट के सदस्य होंगे। इसके अलावा, पंजाब विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर, जो अक्सर केंद्र सरकार के पसंदीदा होते हैं, के पास अब अपने पसंदीदा प्रोफेसरों को नामित करने की शक्ति होगी।

वित्त मंत्री चीमा ने साफ कहा कि भाजपा ने हमेशा पंजाब, पंजाबी भाषा और पंजाबी लोगों के प्रति शत्रुता रखी है और खास तौर पर उन संस्थानों को निशाना बनाया है जिन्होंने पंजाबियों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने कहा कि भाजपा में “हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई है” और पार्टी का उद्देश्य है – पंजाब के संस्थानों में अपने प्रतिनिधियों को नियुक्त करना, उनका कैलेंडर और सिलेबस बदलना और अंततः इन संस्थानों को पूरी तरह नष्ट करना।

हरपाल सिंह चीमा ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ढांचे में लोकतंत्र के ह्रास की ओर इशारा करते हुए कहा कि पहले 90 सदस्यीय सीनेट ही सिंडिकेट का चुनाव करती थी, लेकिन अब सिंडिकेट के लगभग सभी सदस्य नामित किए जाएंगे। उन्होंने पंजाब स्थित केंद्रीय राज्य मंत्री, पंजाब भाजपा अध्यक्ष और अन्य भाजपा नेताओं से पूछा कि क्या वे इस कार्रवाई के लिए अपनी केंद्रीय नेतृत्व को जवाब देंगे या केवल आत्मसमर्पण कर देंगे? उन्होंने पंजाब के भाजपा नेताओं से कहा कि यदि वे राज्य के संस्थानों और लोगों की रक्षा नहीं कर सकते, तो उन्हें अस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से सुनील जाखड़, रवनीत बिट्टू और अश्विनी शर्मा से कड़े सवाल पूछे।

वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि भाजपा का उद्देश्य पंजाब के संस्थानों में अपने प्रतिनिधि नियुक्त कर वहां की आवाज़ को कमजोर करना है – खासकर पानी, फंड और अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर। उन्होंने भाजपा से पूछा कि क्या यह उस राज्य के खिलाफ राजनीतिक बदले की कार्रवाई नहीं है जिसने बार-बार सिर्फ अपनी जायज़ चिंताओं को उठाया है वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने इस अवसर पर प्रण लिया कि आम आदमी पार्टी, पंजाब सरकार और राज्य की सभी लोकतांत्रिक शक्तियाँ इस नोटिफिकेशन का “डटकर मुकाबला करेंगी।” उन्होंने पंजाब भाजपा नेताओं से पूछा कि क्या वे अपने राजनीतिक पदों को बचाने के लिए केंद्र का साथ देंगे या अपने राज्य का?

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